मायापुर में गीता जयंती पर उमड़ा पर्यटकों का सैलाब, ISKCON में छह दिनों तक चला भव्य उत्सव.

मायापुर:ठंडी हवा के साथ ही देश भर में पर्यटन गतिविधियां बढ़ने लगी हैं। इसी उत्साह का सुंदर नज़ारा हाल ही में पश्चिम बंगाल के मायापुर में देखने को मिला, जहां ISKCON मुख्यालय में आयोजित गीता जयंती महोत्सव में भक्तों के साथ-साथ हजारों पर्यटक उमड़ पड़े। छह दिनों तक चले इस अंतरराष्ट्रीय उत्सव ने मायापुर को मानो आध्यात्मिक मेलामंच में बदल दिया।ISKCON के अनुसार, 25 नवंबर से 1 दिसंबर तक चलने वाले इस समारोह में कम से कम तीन लाख भक्त और पर्यटक मायापुर पहुंचे। केवल भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका, रूस, स्पेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों से भी बड़ी संख्या में प्रतिनिधि इस आयोजन में शामिल हुए। ISKCON के पीआरओ रसिक गौरांग दास ने बताया कि इस बार की गीता जयंती में 10,000 युवा-युवतियों ने पहले ही ऑनलाइन पंजीकरण कराया था। वे देश के विभिन्न राज्यों से आए थे। लेकिन सबसे अधिक आश्चर्यजनक रहा वॉक-इन क्राउड, जिसने इस्कॉन के अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए।पूरे सप्ताह मायापुर में गीता यज्ञ, गीता पाठ, कीर्तन-भजन, आरती और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। पर्यटकों और भक्तों को पहली बार अभी निर्माणाधीन टेम्पल ऑफ द वैदिक प्लेनेटोरियम (TOVP) के भीतर प्रवेश करने का अवसर भी मिला, जिसने लोगों की उत्सुकता को और बढ़ा दिया।मायापुर की भौगोलिक स्थिति भी पर्यटकों को आकर्षित करती है। यहां जलंगी नदी और गंगा की एक शाखा, भागीरथी (या हावड़ा–हुगली), का संगम है। इसी वजह से नौका-विहार पर्यटकों के लिए अतिरिक्त आनंद का कारण बना। सुबह-शाम नदी पर होने वाली नाव यात्राएं उत्सव का मुख्य आकर्षण रहीं।गीता जयंती के महत्व पर बोलते हुए रसिक गौरांग दास ने कहा, “भगवान श्रीकृष्ण ने लगभग 5,158 वर्ष पहले कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में अर्जुन को जो दिव्य ज्ञान दिया था, वही भगवद्गीता कहलाता है। मानव जीवन और धर्म का संक्षिप्त सार गीता में समाहित है। इसी परंपरा को स्मरण करते हुए हर वर्ष गीता जयंती मनाई जाती है।”इस वर्ष की अप्रत्याशित भीड़ ने एक बार फिर साबित कर दिया कि गीता जयंती अब केवल धार्मिक उत्सव नहीं रहा—यह एक वैश्विक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संगम बन चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »