भक्ति संगीत सुनते हुए 4 घंटे की जागृत ब्रेन सर्जरी; 72 वर्षीय बुजुर्ग पार्किंसंस के लक्षणों से आज़ाद – पारस हेल्थ पंचकूला

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भक्ति संगीत सुनते हुए 4 घंटे की जागृत ब्रेन सर्जरी; 72 वर्षीय बुजुर्ग पार्किंसंस के लक्षणों से आज़ाद

पंचकूला, 1 दिसंबर () : वर्ल्ड मूवमेंट डिसऑर्डर्स डे के अवसर पर पारस हेल्थ पंचकूला ने 72 वर्षीय पार्किंसंस रोगी पर सफल डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) प्रक्रिया कर उन्हें कंपकंपी और चलने-फिरने में हो रही एक दशक पुरानी परेशानी से राहत दिलाई है। खास बात यह रही कि मरीज़ पूरी प्रक्रिया के दौरान जागृत रहे और भक्ति संगीत सुनते रहे, जिससे सर्जनों को वास्तविक समय में उनकी गतिविधियाँ समझने में मदद मिली।

श्री सिंह पिछले 12 वर्षों से पार्किंसंस से जूझ रहे थे। शुरू में दवाओं से आराम मिलता रहा, लेकिन समय के साथ लेवोडोपा व अन्य दवाओं का असर कम हो गया और उन्हें दिन में 5-7 गोलियां लेनी पड़ती थीं, वह भी सीमित राहत के लिए। लगातार कंपकंपी, चलने में कठिनाई और दवा पर निर्भरता बढ़ने लगी।

पारस हेल्थ पंचकूला की निदेशक पार्किंसंस एवं मूवमेंट डिसऑर्डर्स, न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. जसलोवलीन कौर ने जांच के दौरान पाया कि इस अवस्था में केवल दवा पर्याप्त नहीं है। उन्होंने बताया कि जब दवाओं का असर कम होने लगे, तब पार्किंसंस रोगी वर्षों तक संघर्ष करते रहते हैं। ऐसे मामलों में डीबीएस जीवन की गुणवत्ता सुधारने का प्रभावी विकल्प है। यह केस दिखाता है कि समय पर जांच और एडवांस्ड थेरेपी कितनी जरूरी है।

करीब चार घंटे चली इस जागृत अवस्था वाली सर्जरी में 14 विशेषज्ञों की टीम शामिल रही। डॉक्टरों ने मरीज़ से लगातार बातचीत कर लक्षणों को समझते हुए दिमाग के उस हिस्से में दो इलेक्ट्रोड स्थापित किए, जो कंपकंपी नियंत्रित करता है। इसके बाद सामान्य बेहोशी देकर छाती में छोटा पल्स जनरेटर लगाया गया और उसे इलेक्ट्रोड से जोड़ा गया।

सर्जरी के कुछ ही दिनों में मरीज़ घर भेज दिए गए। दो महीने बाद उनकी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखा गया, अब उनकी कंपकंपी लगभग समाप्त हो गई है, चलने-फिरने में सहजता बढ़ी है और पहले जहाँ 7 गोलियां लेनी पड़ती थीं, अब वे केवल 1 गोली पर आ गए हैं। वह फिर से खुद गाड़ी चलाकर रोजमर्रा के कार्य कर पा रहे हैं।

पारस हेल्थ पंचकूला के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. पंकज मित्तल ने कहा कि यह सफलता हमारे समन्वित उपचार मॉडल और उन्नत तकनीक का प्रमाण है। डीबीएस केवल तकनीक नहीं, बल्कि मरीजों को आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन लौटाने का माध्यम है।

मरीज़ श्री सिंह ने कहा कि सर्जरी ने उन्हें “नई उम्मीद और आज़ादी” दी है। वर्ल्ड मूवमेंट डिसऑर्डर्स डे पर अस्पताल ने बताया कि मूवमेंट डिसऑर्डर्स के लिए एडवांस्ड इलाज, समय पर मूल्यांकन और न्यूरोलॉजिकल थेरेपी ज़रूरी हैं। पारस हेल्थ में डीबीएस प्रक्रियाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो पार्किंसंस रोगियों में तकनीक-आधारित उपचार पर बढ़ते भरोसे को दर्शाती है।

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